प्रत्येक वर्ष लगभग 8.1 मिलियन से अधिक लोग यूटीआई से संक्रमित होकर चिकित्सक के पास इसके निदान के लिए जाते हैं। लगभग 60% महिलाओं और 12% पुरुषों को उनके जीवनकाल में कम से कम एक बार यूटीआई के संक्रमण होने के आंकड़े सामने आये हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने की सम्भाना पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बहुत अधिक होने की होती है। कई महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक बार होने के बाद दुबारा भी हो सकता है कुछ मामलों में तो देखा गया है कि यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कई वर्षों तक महिलाओं को संक्रमित कर सकता है।
यूटीआई क्या है:
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन जिसे यूटीआई के नाम से भी जाना जाता है, रोगाणुओं से होने वाला एक प्रकार का संक्रमण है। यह रोगाणु इतने छोटे होते हैं इनको हम आँखों द्वारा नहीं देख सकते है, इनको सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। अधिकांश यूटीआई इन्फेक्शन बैक्टीरिया द्वारा होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह फंगस और वायरस द्वारा होते हुए भी देखे गए हैं। यूटीआई अधिकाशतः एस्चेरिचिया कोलाई (ई कोलाई) नमक बैक्टीरिया के कारण फैलता है, जो आमतौर पर पाचन तंत्र में पाया जाता है।यूटीआई मनुष्यों में होने वाला सबसे आम संक्रमणों में से एक है। यूटीआई इन्फेक्शन आपके मूत्र पथ में कहीं भी हो सकता है। मूत्र पथ गुर्दे, मूत्रवाहिनी, ब्लैडर और यूरिथ्रा से मिलकर बना होता है। अधिकांश संक्रमण लोअर यूरिनरी ट्रैक जैसे ब्लैडर और यूरिथ्रा को प्रभावित करते हैं।
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यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन दो प्रकार का होता है :
1.लोअर ट्रैक्ट इन्फेक्शन:
ब्लैडर के संक्रमण को सिस्टिटिस कहा जाता है। आम तौर पर आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया लोअर ट्रैक्ट इन्फेक्शन का मुख्य कारण होते हैं। ये बैक्टीरिया गुदा से यूरिथ्रा और ब्लैडर तक फैलते हैं, जहां वे संख्या में बढ़ते हैं, और फिर ऊतकों पर आक्रमण करते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं।
2. ऊपरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन:
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इनमें मूत्रवाहिनी और गुर्दे शामिल होते हैं। इन संक्रमणों को पाइलोनफ्राइटिस या किडनी संक्रमण कहा जाता है। ऊपरी मूत्र पथ के संक्रमण का कारण बैक्टीरिया का मूत्राशय से गुर्दे में पहुंचना होता हैं। कभी-कभी, ये बैक्टीरिया रक्तप्रवाह के माध्यम से भी गुर्दे में पहुंच सकते हैं।
यूटीआई इन्फेक्शन अलग अलग भागों में होने से उनको अलग अलग नाम दिए गए है जैसे कि :
1.ब्लैडर के संक्रमण को सिस्टिटिस कहा जाता है।
2. यूरिथ्रा के संक्रमण को यूरिथ्राइटिस कहा जाता है।
3. गुर्दे के संक्रमण को पाइलोनफ्राइटिस कहा जाता है।
4. मूत्रवाहिनी में संक्रमण की बहुत कम सम्भाना रहती है।
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यूटीआई इन्फेक्शन से होने वाले जोखिम:
1. 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को अपने जीवनकाल के दौरान कम से कम एक बार यूटीआई इन्फेक्शनहोने की सम्भावना रहती है जिसमें से 20 से 30 प्रतिशत के को यूटीआई का इन्फेक्शन कई बार हो सकता है।
2. गर्भवती महिलाओं में अन्य महिलाओं की तुलना में यूटीआई विकसित होने की अधिक संभावना नहीं होती है, लेकिन कभी कभी गर्भावस्था में यूटीआई इन्फेक्शन गुर्दे में देखा गया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जो मूत्र पथ को प्रभावित कर सकते हैं।
3. चूंकि गर्भावस्था में यूटीआई इन्फेक्शन होने के कारण माता और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है, अतः अधिकांश गर्भवती महिलाओं का मूत्र परीक्षण बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है।
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4. किसी भी उम्र और लिंग के लोगो में यूटीआई इन्फेक्शनविकसित कर सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में अधिक जोखिम होता है।
5. महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ उनमें यूटीआई इन्फेक्शन होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है, खासतौर पर मेनोपॉज के बाद। क्योकि मेनोपॉज के बाद शरीर के हार्मोन्स में बहुत से बदलाव होते हैं।
6. यूटीआई इन्फेक्शन वजाइना के आसपास के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है।
यूटीआई इन्फेक्शन निम्नलिखित कारणों की वजह से विकसित हो सकता हैं:
1. यूटीआई इन्फेक्शन से ग्रषित किसी व्यक्ति के साथ संभोग करने से ।
2. अलग अलग पार्टनर के साथ संभोग करने से ।
3. जननांगों की सही साफ़ सफाई न रखने पर बाहरी संक्रमण यूरेथरा ( ट्यूब जहां से यूरिन पास होता है) द्वारा ब्लैडर तक पहुंच जाता है।
4. पब्लिक टॉयलट यूज करने के कारण।
5. मधुमेह।
6. पथरी।
7. गर्भावस्था।
8. रजोनिवृत्ति।
9. मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना ।
10. एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक प्रयोग करने से ।
11. कमजोर इम्युनिटी के कारण।
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यूटीआई के लक्षण :
1. जननांगों में खुजली व जलन होना।
2. मूत्र में रूकावट आना एवं रुक-रुक कर मूत्र आना।
3. बार-बार टॉयलेट जाने की बैचेनी महसूस करना और जब जाएं तो बस थोड़ा सा मूत्र आना।
4. यूरिन का रंग अधिक पीला होना व उसमे तीव्र बदबू आना।
5. पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना।
6. मूत्र करते समय ब्लड आना।
7. मतली और उल्टी आना।
8. मांसपेशियों में दर्द रहना।
9. यूटीआई इन्फेक्शन बहुत अधिक बढ़ने पर थकान व बुखार आना।
यूटीआई से बचने के उपाय:
1.अधिक से अधिक पानी पियें, इससे ब्लैडर के टॉक्सिन्स और बैक्टीरिया फ्लश हो जायेंगें।
2. सेक्शुअल इंटरकोर्स के बाद टॉइलट जाकर ब्लैडर खाली करें।
3. जननांगों की सफाई के समय पीछे से आगे की ओर के बजाय, आगे से पीछे की ओर साफ करें।
4. अपना टॉयलेट हमेशा साफ और सुथरा रखें,हाईजीन मेंटेन रखें।
5. टॉयलेट आने पर रोके नहीं तुरंत जाएं नहीं तो यूटीआई होने का खतरा बढ़ सकता है ।
6. शराब और कैफीन जैसे तरल पदार्थों से बचें जो मूत्राशय को परेशान कर सकते हैं।
7. सैनिटरी पैड या मासिक धर्म कप टैम्पोन का सही चयन करें।
8. पीरियड्स के दौरान सैनेटरी नैपकीन को समय- समय पर बदलते रहना चाहिए क्योकि अधिक देर तक एक ही पैड यूज़ करने से भी इंफेक्शन का खतरा रहता है।
9. जननांग क्षेत्र में किसी भी सुगंधित उत्पादों के उपयोग से बचें।
10. मूत्रमार्ग के आसपास के क्षेत्र को सूखा रखने के लिए सूती अंडरवियर और ढीले-ढाले कपड़े पहनें।
11. संक्रमण का कोई भी लक्षण महसूस हो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।
चिकित्सा :
इसकी चिकित्सा आमतौर पर लक्षणों के बारे में पूछकर साथ ही सफेद रक्त कोशिकाओं, लाल रक्त कोशिकाओं और बैक्टीरिया की उपस्थिति का आकलन मूत्र के नमूने के परीक्षण द्वारा करके की जाती है।
यूटीआई के परीक्षणों में शामिल हैं:
- डायग्नोस्टिक इमेजिंग: इसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी और एमआरआई स्कैनिंग,या एक्स-रे का उपयोग करके मूत्र पथ का आकलन किया जाता है।
- यूरोडायनामिक्स: यह प्रक्रिया निर्धारित करती है कि मूत्र पथ कितने अच्छे से मूत्र का भंडारण और निष्कासन कर रहा है।
- सिस्टोस्कोपी: इस विधि में एक लंबी पतली ट्यूब के माध्यम से कैमरा लेंस को अंदर डाल कर मूत्राशय और मूत्रमार्ग की जांच की जाती है।
यूटीआई इंफेक्शन से बचने के घरेलु उपचार :
1. जिन फलों और सब्जियों में सिट्रिक एसिड की मात्रा अधिक होती है, उनका सेवन इंफैक्शन बढ़ाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में लाभदायक होता है।
2. नारियल पानी पीने से मूत्र करने के दौरान होने वाली जलन में आराम मिलता है, साथ ही नारियल पानी पीने से शरीर को भरपूर मिनरल्स मिलते है।
3. आधा गिलास चावल के पानी में थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से भी यूरिन में होने वाली जलन कम होती है।
4. बादाम की 4 या 5 गिरी मे 5 -6 छोटी इलायची और मिसरी डालकर पीस कर इसे पानी में घोलकर पीने से दर्द और जलन में राहत मिलती है।
5. धनिया और आंवले के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रखें और सुबह इसे छान कर पीने से यूरीन इंफेक्शन में राहत मिलती है।
6. दो चम्मच आंवले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में कम से कम तीन बार एक हफ़्ते तक पीने से पेशाब खुलकर आती है और जलन कम हो जाती है।
7. यूरिन इंफैक्शन के दौरान 1 गिलास पानी में 1 चम्मच सोडा मिलाकर पीने से जलन की समस्या में लाभ मिलता है।
8. लहसुन का सेवन यूटीआई के इन्फेक्शन को कम करने में लाभकारी होता है क्योकि इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होने के कारण यह यूटीआई इन्फेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने में प्रभावी होता है।