आईवीएफ (IVF) फर्टिलिटी की एक सहायक साइंटिफिक प्रॉसेस है। जैसे की हर चीज के कुछ अच्छे और बुरे नतीजे होते है ठीक वैसे ही आज हम आपको आईवीएफ के कुछ साइड इफ़ेक्ट्स बताने जा रहे है अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आप इसकी जानकारी ले सके । अच्छी बात ये है कि आईवीएफ़ ट्रीटमेंट मुख्यतः सफल रहता है। लेकिन अन्य मेडिकल इलाजों की तरह ही इसके भी कुछ रिस्क या खतरे हैं।
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पेल्विक इन्फेक्शन
यह इन्फेक्शन बहुत दुर्लभ है, लेकिन इसके होने पर आपको दवाएं नशों में दी जाती हैं। अंडाशय, गर्भाशय और फैलोपियन को ऑपरेशन से निकाल दिया जाता है।
मल्टीपल प्रेग्नेंसी
चूंकि आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में कई भ्रूण ट्रांसफर किए जाते हैं, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर एक भ्रूण ना बन पाए तो दूसरा विकल्प मे होगा पर इसमें मल्टीपल प्रिग्नेंसी का खतरा बढ़ जाता है, ये जुड़वा, ट्रिपल या इससे अधिक भी हो सकते हैं।
गर्भपात होने का खतरा
आईवीएफ़ ट्रीटमेंट में उतना ही है जितना कि सामान्य प्रसव में। युवा महिलाएं जो 20 की उम्र में हैं उनमें इसका खतरा 15 प्रतिशत रहता है। यदि महिला की उम्र 40 साल से ज़्यादा होती है तो गर्भपात का खतरा 50 प्रतिशत बढ़ जाता है।
एंठन
अंडे की पुनर्प्राप्ति के समय और बाद में, महिलाओं में एंठन और असहजता की समस्या होती है। कुछ महिलाओं में इस ट्रांसफर के बाद ब्लीडिंग या स्पोटिंग भी होती है। थोड़े समय बाद ये लक्षण एक या दो दिनों में ठीक हो जाते हैं।
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ओवेरियन कैंसर
महिलाओं में होने वाले आईवीएफ के दुष्प्रभावों में यह सबसे खतरनाक है। विशेषज्ञों का मानना है कि आईवीएफ में अंडे का स्टिम्युलेशन और अंडाशय में कुछ निश्चित ट्यूमर के विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बीच कुछ सह-संबंध हो सकता है। जो महिलाओं में ओवेरियन कैंसर का मुख्य कारण बनता है ।
इमोशनल इम्बैलेंस
आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरना इमोशनल, तनावपूर्ण और शारीरिक रूप से थकाने वाला अनुभव होता है। भावनाओं का उतार-चढ़ाव, क्लिनिक के चक्कर, हॉर्मोन्स का उच्च स्तर और मेडिकेशंस के प्रोटोकॉल को फॉलो करना उनमें साइकोलॉजिकल/इमोशनल इम्बैलेंस पैदा करता है।