जब कोई हमारे परिवार में या हमारी जिंदगी में दस्तक देता है तो वह किसा ब्लेसिंग से कम नहीं होता। हर पैरेंट बच्चे के घर में आने से पहले ही तैयारियां करने लग जाते हैं। और हर कोई अपने बच्चे के स्वास्थ्य, खुशी, शिक्षा और भविष्य के बारे में योजना बनाना पहले से ही शुरू कर देते हैं। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे का घर में वेलकम करने जा रहें है या अपने बच्चों के कमरे को डिजाइन करने की सोच रहें है तो इन वास्तु टिप्स का ध्यान जरूर रखें। जब एक बच्चा दुनिया में आता है तो उसके लिए शुरुआती कुछ साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यह उनके संपूर्ण विकास में मदद करते हैं।
क्वारंटाइन को करे एन्जॉय , खेले ये गेम्स
1. कमरे में हो पर्याप्त सनलाइट
एक नन्हे बच्चे के कमरे को बनाते समय सबसे महत्वपूर्ण बात यह ध्यान में रखें कि उसमें सुबह के समय अच्छे से सूरज की रोशनी आनी चाहिए। हर किसी की जिंदगी में सूरज की हल्की किरणें सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं । इसके साथ ही सूरज की किरणें कीटाणुओं को मारती हैं जो आम तौर पर हमारे घरों में मौजूद होते हैं।
2. बच्चे का बेडरूम
DIY : अपने कमरे को एक राजकुमारी की तरह कैसे सजाएं
जब भी आप बच्चे के सोने की व्यवस्था करें तो वह हमेशा घर के उत्तर पूर्व क्षेत्र में ही होनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व क्षेत्र बच्चे के बेडरूम के लिए आइडयिल डायरेक्शन हैं।
3. बच्चे का पालना
अगर अप अपने नन्हे बच्चे को कम्फर्ट और रेस्ट देने के लिए पालना खरीदने का सोच रहे हैं तो उसको लेते समय कुछ चीजों का ध्यान रखें। पालना खरीदते वक्त हमेशा ध्यान रखें कि उनके पालने की लंबाई 2 या 3 फीट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। और पालने को हमेशा दीवार से दूर रखें और दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही रखा जाना चाहिए।
आपके छोटे शिशु के लिए बेस्ट है ये DIY बॉडी वॉश
4. सोते समय सही दिशा
वास्तु के अनुसार देखा जाए तो, बच्चे जब सोने जाता है तो उसके सोने के लिए सही दिशा का चुनाव होना चाहिए। इसलिए, सोते समय बच्चे का सिर दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
लाइफ में बढ़ रही है नेगेटिविटी, ट्राई करे ये उपाय
5. समय से पहले हो डिलीवरी
प्रेग्नेंसी में रखे अपना इम्यून सिस्टम मजबूत
अगर आपके बच्चे की डिलीवरी समय से पहले हुई है तो ऐसे में वास्तु के हिसाब से पूर्वोत्तर दिशा के प्राकृतिक ऊर्जा बल नकारात्मक शक्तियों को उससे दूर रख सकते हैं।
6. बच्चे को रेस्पाइरेटरी प्रॉब्लम से दूर
शिशुओं में रेस्पाइरेटरी प्रॉब्लम को रोकने के लिए आप घर के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में उचित संतुलन को देखकर करें क्योंकि यह वायु तत्व से जुड़ा होता है।
वास्तु टिप्स : कैसे करे घर की नेगेटिव एनर्जी को चुटकी में दूर
7. दक्षिण पूर्वी दिशा में किचन
दक्षिण पूर्व क्षेत्र में रसोई का होना या नारंगी रंग का उपयोग करना चाहिए। यह अग्नि तत्व से जुड़ा होता है, जो मेटाबॉलिज्म के विकास में मदद करता है।
8. पूर्वोत्तर दिशा में जल तत्व
प्रेगनेंसी के दौरान इन तरीको से रखे अपने शिशु का ख्याल
हमेशा याद रहे कि बच्चे के कमरे में पूर्व उत्तर क्षेत्र में जल तत्व होना चाहिए और उसके साथ किसी भी आध्यात्मिक तत्व को रखें। ऐसा करने से बच्चे में अच्छें विचार में आते हैं साथ ही नवीनता और रचनात्मकता भी आती है।