पिछले वर्षों के कुछ आकड़ों को देखा जाये तो नार्मल डिलीवरी के वजाय सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। सम्पूर्ण देश भर के आकड़े यह बताते हैं कि नैचुरल तरीके से बच्चे पैदा करने के बजाए महिलाओं में आज कल सिजेरियन द्वारा बच्चे पैदा करने पर अधिक जोर दिया जाने लगा है। बच्चे को जन्म देने से पहले ही कई महिलायें असहनीय दर्द से बचने के लिए सीजेरियन डिलीवरी का सहारा लेना पसंद करती है । दूसरी तरफ डॉक्टर्स भी सिजेरियन को अधिक महतव देते हैं क्योकि नॉर्मल डिलीवरी में कम पैसे खर्च होते हैं और सिजेरियन मेहंगा साबित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ों के अनुसार 2010 तक भारत में सिर्फ़ साढ़े आठ फ़ीसदी बच्चे सीज़ेरियन ऑपरेशन द्वारा से होते थे, परन्तु अब यह आकड़ा पिछले दशक के अनुसार बहुत अधिक बढ़ गया है।
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सिजेरियन डिलीवरी के कारण:
स्वास्थ्य देखभाल के अनुसार सिजेरियन डिलीवरी के कई कारण माने जाते हैं। कुछ सिजेरियन महत्वपूर्ण परिस्थितियों में होते हैं, कुछ का उपयोग महत्वपूर्ण स्थितियों को रोकने के लिए किया जाता है, और कुछ ऐच्छिक रूप से होते हैं।
1.सिजेरियन डिलीवरी के कारणों में कुछ कारण यह हो सकते हैं
2.यदि बच्चे का गर्भ में पैर नीचे और सिर ऊपर कि ओर हो।
3.यदि शिशु का विकास सही रूप से नहीं हो रहा हो ।
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4.यदि शिशु का सिर बच्चे की जन्म नली से बड़ा हो ।
5.यदि गर्भवती को जन्म के दौरान दौरा पड़ रहा हो या उसका ब्लड प्रेशर बहुत अधिक बढ़ गया हो।
6.यदि गर्भ में एक से अधिक शिशु हो।
7.यदि गर्ववती की योनि जोखिम से भरी हो, जैसे गर्ववती एचआईवी या जननांग दाद से पीड़ित हो, ऐसे में शिशु को भी इन रोगो से ग्रषित होने का खतरा बढ़ जाता है।
8.शिशु को गर्भ में ऑक्सीजन की कमी हो रही हो ।
9.यदि गर्ववती ने पहले भी शिशु को सिजेरियन से जन्म दिया हो ।
10.यदि गर्ववती को गर्वनाल की कोई समस्या हो।
11.यदि गर्ववती प्लेसेंटा से जुडी कोई समस्या जैसे प्लेसेंटा प्रीविया, प्लेसेंटा एबॉर्शन या प्लेसेंटा पृथक्करण से जूझ रही हो।
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