यह पता चलते ही कि महिला गर्भवती है उसकी देख रेक बढ़ जाती है, उसको क्या खाना चाहिए- क्या नहीं, उसको क्या करना चाहिए -क्या नहीं ऐसे अनेकों सवाल महिला के दिमाग में आते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखना पड़ता है क्योकि इस अवस्था में गर्भवती को सेहत से जुड़ी अनेकों प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था में महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बहुत हद तक बदलने की आवशयकता होती है।गर्भावस्था के दौरान बड़े-बुजुर्ग बहुत से खाद्य पदाथों को खाने की सलाह देतें हैं जो गर्भ में पल रहें शिशु और माँ दोनों के लिए लाभदायक होते हैं। गर्भाअवस्था के दौरान केसर का सेवन बहुत ही लाभदायक माना जाता है। केसर जिसे (ज़ाफ़रान) के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का सबसे महंगा मसाला माना जाता है। केसर का प्रयोग मसाले और दवा दोनों के रूप में किया जाता है। केसर को क्रोकस सैटिवस फूल से प्राप्त किया जाता है। 450 ग्राम केसर बनाने के लिए लगभग 75,000 केसर के फूलों का प्रयोग किया जाता हैं। यही कारण कि केसर सबसे महगें मसाले के रूप में प्राप्त होता है। प्राचीन काल से, विशेष रूप से भारत में, गर्भावस्था के समय केसर का सेवन लाभकारी माना जाता रहा है। यही कारण है कि , गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक और सलाहकार आपको सीमित मात्रा में केसर को आहार में शामिल करने की सलाह देते हैं। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि केसर का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित है या नहीं, जिसके चलते उनके मन में गर्भावस्था के दौरान केसर को खाने के लिए
संकोच दिखता रहता है। यदि आप भी इस असमंजस में तो हमारा यह आर्टिकिल आपको मदद प्रदान करेगा।
गर्भावस्था से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां,जो हर महिला को मालूम हो
क्या गर्भावस्था के दौरान केसर सुरक्षित है?
हां, गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित है, बशर्ते उसे सही मात्रा में खाया जाए क्योकि किसी भी चीज़ का ज़रूरत से ज्यादा प्रयोग करना बुरा प्रभाव डालता है। ठीक ऐसा केसर के साथ भी है, अधिक मात्रा में ली गई केसर से गर्भाशय के संकुचन, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, रक्तस्राव और गर्भपात का खतरा हो सकता है।। इसलिए, केसर का इस्तेमाल करने के लिए ज़रूरी है कि उसकी संतुलित मात्रा का ही सेवन किया जाए।
गर्भावस्था के दौरान संतुलित मात्रा में केसर के सेवन से होने वाले लाभों के अनेकों वैज्ञानिक तत्थ इस प्रकार है :
एलर्जी से लड़ने में मदद करता है:
गर्भावस्था के समय अनेकों हार्मोनल परिवर्तन के कारण माँ की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और उसे लगातार खांसी, जुकाम, और अन्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। नियमित रूप से केसर वाला दूध पीने या केसर को अपने आहार में शामिल करने से इन एलर्जी को
कम करने में मदद मिलती है।
पाचन में सुधार करता है:
अनुचित पाचन गर्भावस्था की सबसे आम शिकायतों में से एक माना जाता है। केसर का नियमित सेवन आंत की भीतरी दीवार पर एक परत बनाकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एसिडिटी को शांत करने में मदद करता है। जिससे कब्ज और सूजन में सुधार होता है और मेटाबोलिस्म रेट तेज होता है, जिससे पाचन भी अच्छा होता है । 2013 में बेसिक मेडिकल साइंसेज के ईरानी जर्नल में प्रकाशित एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि केसर में कसैले गुण पाचन तंत्र को शुद्ध करने, रक्त प्रवाह में सुधार, भूख बढ़ाने और पाचन का समर्थन करने में मदद प्रदान करते हैं।
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आंखों के लिए फायदेमंद:
गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को काफी तनाव हो जाता है जिस वजह से उन्हें आंखों की कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं। इसके अलावा कुछ महिलाओं की डिलीवरी के बाद नजर भी कमजोर हो जाती है। ऐसे में रोजाना उन्हें केसर वाला दूध पीना चाहिए जो आंखों को स्वस्थ रखने में
मदद करता है।
गर्भावस्था में बालों को झड़ने से रोकता है:
गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल उतार-चढ़ाव बालों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ज़्यादातर गर्भवती महिलाओं को बाल झड़ने की शिकायत हो जाती है। गर्भावस्था से जुड़े बालों के झड़ने को कम करने के लिए केसर का उपयोग लाभकारी होता है। इसके अलावा आप केसर का कच्चे दूध के साथ पेस्ट बनाकर सिर पर लगाने से बालों का गिरना रोका जा सकता है साथ ही यह बालों के विकास को प्रोत्साहित भी करता है।
उच्च रक्तचाप से राहत दिलाता है :
कई शोधों में यह पाया गया है कि केसर में पोटैशियम, क्रोसेटिन, क्रोकिन और सफारी सहित घटकों में ऐसे गुण होते हैं जो रक्तचाप में वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
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गर्भवती की त्वचा में चमक लाता है :
कई महिलाओं में , गर्भावस्था के समय हार्मोनल परिवर्तनों के कारण त्वचा में अनेकों परिवर्तन देखने को मिलते हैं जैसी कि पिंपल्स ब्रेकआउट, दाने, खुजली आदि । नियमित रूप से केसर का सेवन करने से त्वचा की समस्याएं दूर हो जाती हैं और त्वचा की टोन में भी सुधार और चमक आती है।
ऐंठन से राहत दिलाए :
गर्भावस्था के दौरान जैसे-जैसे शिशु का विकास होने लगता है, गर्भवती की मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता , जिससे पेट में ऐंठन और दर्द होना स्वाभाविक होता है। केसर में एंटी- इंफ्लामेंटरी तथा एंटी-स्पासमोडिक गुण होते हैं , जो मांसपेशियों के लिए फायदेमंद होते हैंसाथ ही ऐंठन से
राहत दिलाते हैं।
मॉर्निंग सिकनेस से राहत :
गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी रहती है। सुबह उठते समय जी-मिचलाना, उल्टी आना, सुस्ती महसूस होने जैसी कई समस्याएं गर्भावस्था में आम हैं। इन समस्या से राहत पाने के लिए केसर का नियमित सेवन काफी मददगार साबित हो होता है।
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मूड स्विंग में लाभकारी :
गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाओं को मूड स्विंग की शिकायत होती है। यह हार्मोनल स्तर में बदलाब और उतार -चढ़ाव के कारण होता है। जिससे आप डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन महसूस कर सकते हैं। केसर में उच्च स्तर का कैरोटेनॉइड होता है, जो माना जाता है कि मस्तिष्क में डोपामाइन, नॉरपेनेफ्रिन और सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाकर आपके मनोदशा को कम करने और डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है।
आयरन की कमी को रोकता है:
कभी-कभी गर्भवती महिलाओं का आहार आयरन की बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रहता है। जिसकी वजह से वह एनीमिया जैसे रोग का शिकार हो सकती हैं। नियमित रूप से केसर का सेवन आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया को रोकने में मदद प्रदान करता है क्योंकि केसर आयरन का एक समृद्ध स्रोत माना जाता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर :
केसर एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है, जो स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। वास्तव में, केसर का ओआरएसी मूल्य 20,580 है, जो डार्क चॉकलेट की तुलना में अधिक है , इसके अलावा, केसर की पोषण प्रोफ़ाइल में कई विटामिन और खनिज शामिल हैं जो गर्भावस्था के दौरान आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। केसर में मौजूद थियामिन और रिबोफ्लेविन गुण गर्भवती महिलाओं के शरीर को स्वस्थ रखते में लाभकारी होते हैं।
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हृदय संबंधी दिक्कतों से बचाएं :
गर्भावस्था में कुछ न कुछ खाने की इच्छा होते रहना सामान्य है। बेशक, इस दौरान आपको ज्यादा कैलोरी लेनी होती है, लेकिन साथ ही यह ध्यान रखने की भी ज़रूरत है होती है कि कोई दिल संबंधी समस्या न पैदा हो जाए। ऐसे में केसर का सेवन मददगार होता है। केसर में क्रोसेटीन, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रोल का स्तर संतुलित रहता है और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है ।
बच्चे की त्वचा का रंग गोरा होने की सम्भावना :
ऐतिहासिक रूप से, कई लोगों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान केसर का सेवन करने से आपके शिशु की त्वचा में निखार आने की संभावना बढ़ जाती है । आज भी, कुछ संस्कृतियों में, कुछ बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं को होने वाले बच्चे की त्वचा में निखार लाने के लिए केसर में औषधीय गुणों की अधिकता होने के कारण गर्भवती को केसर युक्त दूध पीने की सलाह देते हैं। सही मायने में, एक बच्चे की त्वचा की टोन उसके माता-पिता के आनुवंशिक गुणों के आधार पर पूर्व निर्धारित होती है । हलाकि इस तथ्य का समर्थन वैज्ञानिक रूप से नहीं किया गया है । गर्भावस्था के दौरान केसर के साइड इफेक्ट्स।
समय से पहले प्रसव या गर्भपात:
गर्भावस्था के दौरान बहुत अधिक केसर खाने से महिलाओं के शरीर में गर्भाशय में संकुचन बढ़ जाता है और ये संकुचन अनपेक्षित गर्भपात का कारण बन सकता हैं। विशेषज्ञ महिला डॉक्टरों के शोध के अनुसार अत्यधिक मात्रा में केसर के सेवन से गर्भवती के शरीर की गर्मी बढ़ जाती है, और समय से पहले प्रसव या गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, केसर का सेवन उचित खुराक के साथ करना ही उचित होता है।
अतिसंवेदनशीलता :
किसी-किसी महिला को केसर का सेवन करने के बाद घबराहट, जी-मिचलाना, मुंह सूखना व सिरदर्द जैसी समस्याएं होने की सम्भावना हो सकती है। यदि आपको बी इनमेंसे कुछ महसूस हो तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें या आप केसर का इस्तेमाल न करें।
एलर्जी:
गर्भावस्था के दौरान केसर के सेवन से कुछ महिलाओं में एलर्जी की भी समस्या हो सकती है। इसके आलावा कुछ महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान केसर का उपयोग करने के बाद श्वसन संबंधी समस्याओं का भी सामना कर सकती हैं।
उल्टी आना :
कभी-कभी गर्भावस्था में केसर का इस्तेमाल करने से उल्टी आने की भी समस्या हो सकती। उल्टी न केवलआपके शरीर को प्रभावित करती है बल्कि वह आपके शिशु तक महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को भी नहीं पहुंचने देती है। अतः ऐसी समस्या होने पर केसर का सेवन न करना ही उचित होगा। इन दुष्प्रभाव के अलावा, अगर आपको केसर खाने के बाद नीचे दिए गए लक्षण नज़र आते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
मूत्र या मल में रक्त का आना।
पलकें, होंठ और नाक से रक्तस्राव होना।
शरीर का सुन्न होना।
आंखों के आगे अंधेरा छाना।
चक्कर आना।
पीलिया।
गर्भावस्था में केसर की कितनी मात्रा लेनी चाहिए ?
गर्भावस्था के दौरान प्रति दिन 250 मिलीग्राम मात्रा का सेवन उचित होता है इसका सेवन आप दूध, भोजन और डेसर्ट के रूप में कर सकते है। गर्भावस्था में इससे अधिक मात्रा का सेवन स्वास्थ्य पर निगेटिव प्रभाव डालता है। प्रति दिन 500 मिलीग्राम केसर का सेवन आपके रक्तचाप के स्तर पर निगेटिव प्रभाव डाल सकता है। यदि आप पहले से ही लौ ब्लड प्रेशर का सामना कर रहे हैं, तो ऐसी अवस्थ में आपको केसर के सेवन की मात्रा पर सख्ती से ध्यान देने की जरुरत होती है। रिसर्च में पाया गया है कि प्रति दिन दो बार (कुल 1 ग्राम) 500 मिलीग्राम केसर का उपयोग करने से आपका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक नीचे आ सकता है और गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा ऐसा देखा गया है कि लगभग 2 ग्राम केसर का उपयोग करने से गर्भाशय का संकुचन शुरू हो सकता है और जिससे गर्भपात भी हो सकता है और प्रसव पीड़ा भी हो
सकती है।
गर्भावस्था में केसर का सेवन कब शुरू करें?
आप अपनी गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय केसर की उचित खुराक लेना शुरू कर सकती हैं। हालांकि, दूसरे ट्राइमेस्टर से केसर लेना शुरू करना बेहतर होता है, क्योकि, दूसरी तिमाही तक आपकी गर्भावस्था स्थिर हो जाती है। आयुर्वेद के हिसाब से जब मां अपने गर्भ में शिशु के मूवमेंट (गर्भ के पांचवें महीने के आसपास) को महसूस करने लगे , तब से केसर का सेवन जरुरी हो जाता है ।
निष्कर्ष :
केसर एक ऐसी जड़ी बूटी है जो आपकी गर्भावस्था के दौरान चमत्कार कर सकती है या गर्भपात का कारण भी बन सकती है क्योंकि यह एक गर्भाशय उत्तेजक के रूप में भी जानी जाती है। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान केसर का उपयोग करते समय सावधानी जरूर बरतें। बहुत ज्यादा केसर आपके ऊपर उल्टा और खतरनाक प्रभाव डाल सकता है।
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