ज़िंदगी की भागदौड़ में सुकून के पलों की तलाश हर किसी को है और हर किसी को ये पल जहां नसीब होते हैं, उसे ही घर कहते हैं। आपका आशियाना, जहां सपनों को मंज़िल भी मिलती है और उनकी नींव भी पड़ती है। जब इतनी ही ख़ास जगह है घर तो उसकी ख़ूबसूरती जनाकर्षण का केन्द्र बनना लाज़िमी है। कैसे? डरिए मत, कोई बड़े भारी खर्च की ज़रूरत नहीं है। कुशल गृहणी अपने बजट में घर को चार चांद लगा सकती है। आइये जानते हैं …..आशियाने की ख़ूबसूरती के राज।
सबसे ख़ास हैं दीवारें
घर की बात करें तो सबसे पहले दीवारें या खिड़की- दरवाज़े आते हैं। अक्सर यूँ होता है जब दीवारों की पुताई करनी होती है तो दो-चार रंगों का चयन कर घर की पुताई कर दी जाती है। लेकिन तथ्य यह है कि हर कमरे के हिसाब से रंगों का चयन करना चाहिए । जैसे, सबसे पहले पूजा कमरे की बात करें तो भगवान को समर्पित इस कमरे के लिए हल्दी पीला या सुनहरा रंग बेहतर होता है।
आजकल “ऑर्गेनिक” की महत्ता बढ़ती जा रही है तो रसोई के लिए हल्का हरा रंग ऑर्गेनिक का प्रतीक कहलाता है । इसी तरह शयनकक्ष, बच्चों का कमरा, बुजुर्गों का कमरा हल्के रंगों जैसे, गुलाबी, आसमानी या हल्का नीला, बैंगनी रंगों से खूबसूरत लगता है। खाने का कमरा चूँकि, रसोई के क़रीब होता है तो उससे मिलता-जुलता रंग होना चाहिए। दीवारों के रंगों से मेल खाते दरवाज़े और खिड़की होना चाहिए।
सुकून देने वाले हों पर्दे
दीवारों की पुताई के बाद बात आती है पर्दों की। पर्दों के चयन में उसके कपड़े और रंग, दोनों पर ध्यान देना ज़रूरी है। मौसम के दुष्प्रभाव से बचाने वाले होने चाहिए ।
गर्मी की धूप और ठंड की ठिठुरन दोनों से बचाने के साथ कमरे की ख़ूबसूरती के पोषक भी हों। साथ ही दीवारों के रंग से मेल खाते भी हों।
रोशनी की जगमगाहट भी ज़रूरी है
दीवाली की ख़ूबसूरती रोशनी की जगमगाहट से ही बढ़ती है। लेकिन घर में सिर्फ़ दीवाली को ही नहीं, बल्कि प्रतिदिन रोशनी की जगमगाहट चाहिए । दीवारों के रंग की तरह हर कमरे की रोशनी की अपनी अहमता है।
बच्चों के कमरे में पढ़ाई के लिए तेज रोशनी चाहिए तो बुज़ुर्गों के कमरे में थोड़ी कम चाहिए । आजकल बाज़ार में अलग-अलग प्रकार और रंगों की लाइट मिल रही हैं । कमरों के हिसाब से सही चुनाव करके आप खूबसूरत लाइट से घर को जगमग कर सकते हैं।
प्राकृतिक ख़ूबसूरती को अपनाएं
यूं तो बाज़ार में घर की सजावट के लिए बहुत कुछ उपलब्ध है, लेकिन पेड़-पौधों की प्राकृतिक ख़ूबसूरती अपनी अलग अहमियत रखती है। मिट्टी के हों या सेरेमिक के, ताँबे, पीतल या सीमेंट के हों, हर तरह के रंग-बिरंगे गमलों में पेड़-पौधे लगा कर घर की ख़ूबसूरती के साथ-साथ पर्यावरण को भी प्रदूषण से बचा सकते हैं। साथ ही फूलों से घर महकता भी रहेगा।
फ़र्नीचर का सही चयन
अक्सर देखा गया है कमरे के हिसाब से फ़र्नीचरों का चयन नहीं होता यानी कमरा छोटा है और फ़र्नीचर बड़ा, जो कि बहुत ही असुविधाजनक होता है। हर कमरे के हिसाब से ही फ़र्नीचर का चयन करें।
साथ ही फ़र्नीचर का चयन ज़रूरत के हिसाब से भी करें मसलन, लकड़ी का हो या स्टील का अपनी ज़रूरत और सुविधा दोनों का ख़्याल रखें। सही फ़र्नीचर निश्चित रूप से घर की ख़ूबसूरती को बढ़ाएगा।
पुराने सामानों का सदुपयोग
• टूटी काँच यूँ तो फेंक देनी चाहिए, लेकिन ऐसी काँच को सही आकार देकर उसमें पेंट करके अपने कमरों की शोभा बढ़ा सकते हैं।
• पुरानी ख़ाली बोतलों में छोटे पौधे लगा कर जगह-जगह इस्तेमाल किया जा सकता है।
• पुराने टायरों को रंग कर बगीचे या आँगन में इस्तेमाल किया जा सकता है । इनके ऊपर कुशन रख कर बैठने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
आपका आशियाना न सिर्फ़ आपको सुकून के पल देने वाला है, बल्कि आपकी हस्ती का भी परिचायक है। खूबसूरत घर सिर्फ़ सपनों में नहीं होता, हक़ीक़त भी बनता है। तो खूबसूरत घर की अपनी कल्पना को साकार कीजिए।