घंटे औऱ मिनट के काँटों मे से
कट कर गुज़रती इस ज़िन्दगी में
कुछ हादसे हैं कुछ हकीकतें हैं
और बस एक ये शाम ही तो है
सुबह में हड़बड़ी औऱ जल्दबाज़ी है
दोपहर में भगदड़ काम काज की
रात को रोक कर जो दो पल देती
वो बस एक ये शाम ही तो है
ये दिनभर जो होड़ लगी रहती है
सबसे आगे निकल जाने की
यही रफ्तार तो वजह बनी है
तेरे खुद के सपने निग़ल जाने की
वक़्त को थाम कर दिल बहलाती
वो बस एक ये शाम ही तो है
अब वो ज़माना भी तो बीत गया
जब घर के नीचे इकट्ठा होकर
दोस्त आवाज़ लगाया करते थे
और मैं पिताजी के डर से
बचते बचाते बिन आवाज़ किये
आने का इशारा कर देता था
अब वो बेवजह घूमना तो बंद हो गया
जब से खुद पर ही पहरे लगा दिए हैं
पर दोस्त और चाय की चुस्की नुक्कड़ पे जमाती
वो बस एक शाम ही तो है
मंज़िलें तय कर रखी हैं सबने
और उन तक पहुंचने की दौड़ लगी है
कोई गिरा कोई टूटा कोई पीछे छूटा
पर किसी को किसी से मतलब नही है
ऐसे में घड़ी बंद कर के सांस में सांस दिलाती
वो बस एक शाम ही तो है
कुछ तो खास है इस नाम में
कि सब दिल के काम होते हैं शाम में
यार संग बैठना हो
या दिलदार संग बहकना हो
सब काम निपटा कर समय निकाल कर जो मिलवाती
वो बस एक शाम ही तो है
दिन और रात की आस्तीनें पकड़ कर
जो सूरज और चांद के सिरे मिलाती है
ठहाके लगाती आंसू बहाती
पूरे दिन का हिसाब कर जाती है
गुदगुदाती कभी सुस्ताती मुस्काती
महफ़िल जमाती जाम टकराती
वो बस एक शाम ही तो है
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