हिंदी फिल्मो में चाहे कितना भी ड्रामा क्यों न हो दर्शको के लिए फिल्म के अंत में हैप्पी एंडिंग ही सबसे ज्यादा जरुरी है। कई लोगो के लिए हैप्पी एंडिंग ही एक अच्छी फिल्म है या ऐसा कहे सकते है की हैप्पी एंडिंग वाली फिल्मे ही पैसा वसूल फिल्म है पर क्या आपको भी ऐसा ही कुछ लगता है ? अगर हां तो आज हम आपको कुछ ऐसा फिल्मो के बारे में बताने वाले है जिन फिल्मो में हैप्पी एंडिंग तो नहीं हुई पर दर्शको ने इन फिल्मो को काफी प्यार दिया और ये बता दिया की हर बार हैप्पी एंडिंग हो ऐसा जरुरी नहीं तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते है।
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रंग दे बसंती
ये एक ऐसी फिल्म है जिसको आज तक कोई नहीं भुला पाया है। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की ये फिल्म उनके करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है। इस फिल्म ने देश के युवा में एक नया और अलग किस्म का जोश भर दिया था। इस फिल्म का अंत आज भी लोगों की आंखों को नम कर देता है। फिल्म में आज़ादी की लड़ाई को एक मॉडर्न तरीके से पेश किया गया था जिसमें फिल्म के सभी मुख्य किरदार अंत में मारे जाते हैं बावजूद इसके फिल्म को काफी प्यार मिला।
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गोलियों की रासलीला- रामलीला
इस फिल्म को भला कौन भूल सकता है ये फिल्म जितनी चर्चा में अपने नाम को लेकर रही उतनी ही अपनी एंडिंग को लेकर भी रही है। पूरी फिल्म में दो समाजों के बीच कट्टर दुश्मनी को दिखाया गया है जिसकी खामियाज़ा इन परिवारों के बच्चों को भुगतना पड़ता है । अंत में अपने-अपने परिवारों के खिलाफ जाने की जगह ये दोनों एक-दूसरे की जान लेना ज़्यादा बेहतर और आसान समझते हैं।
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आशिकी 2
ये फिल्म श्रद्धा कपूर और आदित्य रॉय कपूर की पहली फिल्म थी जिसमे एक अलग ही तरह की लव स्टोरी थी। एक मशहूर सिंगर अपने करियर के शिखर पर पहुंच तो जाता है पर अपनी शराब की लत की वजह से शोहरत गंवाने लगता है। ऐसे वक्त में उसकी लाइफ में एक आरोही (श्रद्धा कपूर) की एंट्री होती है जिसका सपना एक सिंगर बनने का है। आदित्य इसमें आरोही का पूरा साथ देता है पर अपनी उस लत को ठीक नहीं कर पता और मरने का फैसला करता है। जहां एक तरफ आरोही बहुत बड़ी सिंगर बन जाती है लेकिन अपने जीवन में अपने पहले प्यार की कमी से वो कभी उबर नहीं पाती है।
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मुगल-ए-आजम
1960 में आई निर्देशक के आसिफ की फिल्म “मुगल-ए-आजम” ऐसी ही फिल्म थी। फिल्म के अंत में अनारकली को दीवार में चुनवा दिया जाता है और इस तरह दो प्यार करने वाले एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। हालांकि फिल्म में अनारकली तो बच गई लेकिन सलीम से कभी नहीं मिल पाने का गम फैंस के दिल में आज भी ताजा है पर ये बात सच है की सभी ने इस फिल्म को काफी प्यार दिया।
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देवदास
हम में से कुछ ही लोगो को ये बात पता है की देवदास फिल्म शरतचंद्र बंधोपाध्याय के लेजेंड्री उपन्यास पर बनी संजय लीला भंसाली की ये फिल्म कई वजहों से आयकॉनिक है – अपने मेगा स्टारकास्ट, ग्रैंड सेट्स और रिच कॉस्ट्यूम्स के लिए। मगर इस फिल्म को यादगार बनाने वाला जो सबसे बड़ा फैक्टर है इसकी एंडिंग जो की काफी ट्रैजिक है।
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रांझणा
हम सभी को लगता है की फिल्म में आखिरकार हीरोइन हीरो के पास ही जाएगी अगर आपको भी ऐसा ही कुछ लगता है तो आपको एक बार रांझणा जरूर देखनी चाहिए। इस फिल्म की स्टोरीलाइन शुरू से ही प्रॉब्लमैटिक थी जिसे देखते हुए इसकी हैप्पी एंडिंग होना थोड़ा मुश्किल ही था। फिल्म में सभी को लगता है की सोनम कपूर एंड में हीरो धनुष के पास ही जाएगी ऐसा कुछ होने भी लगता पर एक दम से धनुष की मौत के साथ साडी कहानी उलटी पड़ जाती है।