आज वो दौर है जहां महिला पूरे देश में नाम कमा रही है। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से भी आगे बढ़ती नजर आ रही हैं। राजनीति हो, सेना हो या खेल क्षेत्र हो हर जगह महिलाओं का बोलबाला है। जन्म के बाद से ही एक लड़की बेटी, पत्नी, बहू, के साथ एक मां की जिम्मेदारी अच्छे से संभाल रही है। लेकिन जहां एक ओर समाज महिलाओं की बहादुरी का सम्मान करता है तो वही यही समाज कहीं न कहीं महिलाओं को किसी न किसी कारण से पीछे भी धकेलता है।
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इसमें से ही एक है, महिलाओं में प्राकृतिक रूप से होने वाले पीरियड्स। आज के समय में महिलाओं को हर क्षेत्र में पूरी आजादी तो मिल गई, लेकिन कुछ सामाजिक कुरीतियों के कारण वे कहीं ना कहीं आज भी बंदिश में हैं।
कई लोग पीरियड्स को बीमारी मानते है तो कहीं इसे छुआछूत की संज्ञा देकर कुरीति को बढ़ावा दिया जाता है। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पीरियड्स एक बीमारी है या सिर्फ टैबू…
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क्या है पीरियड्स की समस्या ?
पीरियड्स यानि मासिक धर्म। लड़कियों में यह समस्या 12 साल की उम्र में शुरू हो जाती है और 40-45 साल तक की महिलाओं को हर महीने नियमित रूप से होते है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इसके साथ ही महिला को बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। जब लड़की बालावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश करती है तब शरीर में ऐसे हार्मोन बनते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। हर महीने ये हार्मोन शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार करते हैं।
लक्षण
हर महीने होने वाले पीरियड्स से महिलाओं को सामना करना पड़ता है। जिसमें कुछ महिलाओं को ज्यादा परेशानी होती है तो कुछ को कम। पीरियड्स आने के कुछ दिनों पहले महिलाओं में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे मूड स्विंग्स।
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कुछ महिलाओं को पेट दर्द, पीठ दर्द, चेहरे पर पिंपल्स, कम या अधिक भूख लगना, थकान महसूस होना। ये सभी लक्षण कुछ दिनों पहले ही होना शुरू हो जाते हैं, लेकिन पीरियड्स खत्म होने के बाद ये अपने आप ठीक हो जाते हैं और महिला स्वस्थ महसूस करने लगती है।
कैसे महिलाएं बरतें सावधानी
हर महीने पीरियड्स के समय अगर महिला सावधानी न बरते तो ये एक गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकती है। इस दौरान साफ सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
पीरियड्स में महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही अगर आप हेल्थ फ्रीक हैं तो पीरियड्स के शुरुआती दो दिन एक्सरसाइज से दूरी बना सकती हैं। वही आप कॉफी का सेवन भी कर सकती हैं। कुछ महिलाओं को पेट दर्द की शिकायत रहती है, तो उस दौरान पेन किलर की जगह गर्म पानी से सिकाई कर सकती हैं।
बच्चियों को जानकारी दें
10-11 साल की उम्र में बच्चियों को पीरियड्स के बारे में जानकारी दें और उन्हें समझाएं कि आने वाली समय में वो इससे डरें या घबराएं नहीं। बल्कि समझदारी से इसका सामना करें।
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महिलाओं को करें सपोर्ट
हर क्षेत्र में महिलाओं को सपोर्ट किया जाता है, ठीक उसी तरह महिलाओं को सपोर्ट पीरियड्स के समय में भी करना चाहिए। जिस तरह समाज में अन्य कुरीतियों को खत्म किया गया है। उसी तरह इस अंधविश्वास की डोर को भी तोड़ने की जरूरत है।
समाज को यह समझना चाहिए कि पीरियड्स कोई बीमारी या छुआछूत नहीं है, बल्कि अंधविश्वास है, जो समाज की सोच में बैठा हुआ हैं।